गले के कैंसर के कारण, लक्षण और बचाव | Throat Cancer in Hindi
जो लोग धूम्रपान और शराब का सेवन करते है उनमे गले का कैंसर बहुत आम है. गले का कैंसर, कैंसर का एक समूह है, जिससे टॉन्सिल से वॉयस बॉक्स तक कही भी ट्यूमर हो सकता है.
थ्रोट कैंसर यानी गले का कैंसर तब होता है जब गले में कोशिकाओं की असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है, जो वॉयस बॉक्स या टॉन्सिल में होने वाले कैंसर के उत्पादन में मुख्य भूमिका निभाता है. यह कैंसर फ्लैट कोशिकाओं में पैदा होता है जो गले के भीतर की रेखा होती है. नीचे हमने गले के कैंसर के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में बताया है.

गले के कैंसर के प्रकार
Glottic Cancer – यह कैंसर वोकल कॉर्ड में शुरू होता है.
Subglottic Cancer – यह कंठ नली के नीचे के हिस्से में होता है.
Supraglottic Cancer – यह गले के ऊपरी हिस्से में शुरू होता है.
Nasopharyngeal Cancer – यह गले की नली के ऊपर के भाग में शुरू होता है, जो नाक के पीछे गले का एक हिस्सा होता है.
Oropharyngeal Cancer – यह मुँह के पिछले हिस्से में शुरू होता है, जो गले का टॉन्सिल वाला हिस्सा है.
Hypopharyngeal Cancer – यह गले के निचे के हिस्से में शुरू होता है, यह खाने की नली तथा श्वसन नली के ऊपर होता है.
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गले के कैंसर के कारण
बहुत ज्यादा शराब का सेवन करना.
धूम्रपान करना और तम्बाकू चबाना आदि.
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गले के कैंसर के लक्षण
आवाज में बदलाव – गले का कैंसर होने पर आवाज़ में बदलाव या फिर गला बैठना लैरिंक्स कैंसर का लक्षण हो सकता है. अगर कैंसर पनप रहा है तो आवाज में बदलाव आएगा. ऐसा होने पर डॉक्टर से जरूर सलाह ले.
गले में खराश – गले में लगातार खराश का होना भी गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है.
निगलने में परेशानी – खाना निगलते समय परेशानी होना गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है.
कान में दर्द – कान और गले की मांसपेशियां आपस में जुडी हुई होती है. इसीलिए गले के कैंसर में कान में भी दर्द हो सकता है.
खांसी – पुरानी खाँसी भी गले के कैंसर का लक्षण हो सकती है, साथ ही खांसी में खून आना भी गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा गले में गांठ, सांस लेने में दिक्कत, बिना वजह वजन कम होना आदि भी गले के कैंसर के लक्षण हो सकते है.
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गले के कैंसर से बचाव
स्मोकिंग करना बंद करें.
शराब का सेवन न करे.
फलों तथा सब्जियों का सेवन करे.
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गले के कैंसर के चरण
Stage 0 – स्टेज 0 का मतलब ट्यूमर आपके गले के अलावा किसी ऊतक में नहीं फैला है.
Stage 1 – स्टेज 1 का मतलब ट्यूमर 7 सेंटीमीटर से कम है तथा गले तक ही सीमित है.
Stage 2 – स्टेज 2 का मतलब ट्यूमर 7 सेंटीमीटर से हल्का बड़ा है परन्तु अभी भी गले तक ही सीमित है.
Stage 3 – स्टेज 3 का मतलब ट्यूमर बड़ा हो चुका है तथा पास के अंगों में फैल गया है.
Stage 4 – स्टेज 4 का मतलब ट्यूमर लसीका नोड्स या दूर के हिस्सों में फैल गया है.
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गले के कैंसर का परीक्षण
एंडोस्कोपी (Endoscopy) – इसमें चिकित्सक गले में एक लचीली ट्यूब डालकर परिक्षण करते है इसके आगे कैमरा लगा हुआ होता है.
बायोप्सी (Biopsy) – इसमें चिकित्सक सर्जरी, एंडोस्कोप या सुई के इस्तेमाल से गले में से एक टिश्यू निकालेंगे तथा कैंसर का परीक्षण करेंगे.
इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test) – सीटी स्कैन, एक्स-रे, MRI तथा PTI स्कैन यह दिखा सकते है की कैंसर गले से बाहर शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंचा है या नहीं.
गले के कैंसर का इलाज
कैंसर का इलाज कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है. कभी-कभी एक से ज्यादा उपचार की जरुरत पड़ सकती है. नीचे हमने गले के कैंसर के इलाज के बारे में बताया है.
रेडिएशन थेरेपी – कैंसर सेल्स को समाप्त करने के लिए रेडिएशन या अन्य स्रोतों की उच्च ऊर्जा वाली किरण का इस्तेमाल करते है, जो ट्यूमर छोटा है उसके लिए रेडिएशन थेरेपी की जरुरत पड़ सकती है. बाद के स्टेज के लिए रेडिएशन थेरेपी के साथ दूसरे इलाज की जरूरत भी पड़ सकती है.
सर्जरी – ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी का इस्तेमाल भी किया जाता है. बड़े ट्यूमर के लिए डॉक्टर गले के हिस्से को निकाल सकते है तथा फिर उसे ठीक करना पड़ सकता है जिससे आप सामान्य तरीके से निगल सके. कंठ नली पर ट्यूमर होने के कारण आपको कंठ नली निकलवानी पड़ सकती है. कैंसर के गर्दन में फैलने पर लिम्फ नोड्स भी निकलवाने पड़ सकते है.
कीमोथेरेपी – सर्जरी होने से पहले ट्यूमर को सिकोड़ने या सर्जरी के पश्चात आखिरी कैंसर सेल्स को समाप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह रेडिएशन को ज्यादा प्रभावी बनाने में भी मदद कर सकता है.
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